भारत की महिला हॉकी टीम ने बिना सरकारी सहायता के रचा इतिहास
भारत की महिला हॉकी टीम ने हाल ही में एक ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया है, जिसे देश कभी नहीं भूलेगा। इस टीम ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐतिहासिक पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया, वह भी तब जब उन्हें सरकार की तरफ से न तो कोई पर्याप्त आर्थिक सहायता मिली और न ही खेल उपकरण।
कठिनाइयों भरा सफर
यह टीम वर्षों से सीमित संसाधनों और सुविधाओं के साथ अभ्यास कर रही थी। खिलाड़ियों ने अपने जज़्बे, कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास से वह कर दिखाया जो अब तक संभव नहीं था। जानकारी के अनुसार टीम को उच्च स्तरीय हॉकी स्टिक, जूते, प्रोटेक्शन गियर तक स्वयं खरीदने पड़े थे।
सरकारी सहायता का अभाव
यह हैरान करने वाली बात है कि इतने बड़े टूर्नामेंट के लिए सरकार द्वारा फंड, ट्रेनिंग कैम्प और गियर उपलब्ध नहीं कराए गए थे। इसके बावजूद महिला खिलाड़ियों ने हार नहीं मानी। कुछ खिलाड़ियों ने तो सोशल मीडिया पर लोगों से समर्थन और आर्थिक सहायता की अपील भी की थी।
खिलाड़ियों की मेहनत रंग लाई
प्रतियोगिता के फाइनल मुकाबले में भारतीय महिला हॉकी टीम ने मजबूत टीमों को पीछे छोड़ते हुए ऐतिहासिक पदक जीता। खिलाड़ियों ने बताया कि उनके लिए यह केवल खेल नहीं बल्कि देश का सम्मान था। इस जीत ने साबित कर दिया कि कठिन परिश्रम और समर्पण से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।
देशभर से मिल रही बधाइयाँ
महिला हॉकी टीम की इस शानदार जीत पर देशभर से बधाइयाँ मिल रही हैं। प्रधानमंत्री से लेकर खेल प्रेमियों तक सभी ने इन जांबाज महिलाओं के जज़्बे को सलाम किया। सोशल मीडिया पर #WomenHockeyPride ट्रेंड कर रहा है।
भविष्य की उम्मीदें
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस टीम को सरकार की पूरी मदद और संसाधन मिलें तो ये खिलाड़ी भविष्य में ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट में भी भारत को स्वर्ण पदक दिला सकती हैं।
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